Buddha Tourist Place: बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल के दर्शन आप भी कीजिए

चीन में बौद्ध धर्म के भिक्षुओं की कुल संख्या लाखों में है. भगवान बुद्ध के अनुयायिओं के लिए विश्व भर में चार मुख्य तीर्थ मुख्य माने जाते हैं. आज के इस लेख में हम आपको बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों (Buddha Tourist Place) के बारें में बताएंगे. तो चलिए शुरू करते है-

Buddha Tourist Place: बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल के दर्शन आप भी कीजिए
Buddha Tourist Place: बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल के दर्शन आप भी कीजिए
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Buddha Tourist Place: बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध (Mahatma Gautama Buddha) थे और वे एक महान समाज सुधारक थे. इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था. इनका जन्म 563 ईसा पूर्व बैशाख पूर्णिमा के दिन कपिलवस्तु राज्य के लुम्बिनी ग्राम में हुआ था. इनके पिता शुद्धोधन और माता का नाम महामाया था. जन्म के सातवें दिन ही माता महामाया की मृत्यु हो गई. अत: इनका पालन-पोषण इनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया. सिद्धार्थ का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ था.

आपको बता दें, बौद्ध धर्म मुख्या रूप से चीन, तिब्बत, जापान, श्रीलंका और थाइलैंड आदि देशों में तेजी से फैला हुआ है. भाषा की दृष्टि से बौद्ध धर्म की तीन शाखाएं मानी जाती हैं; हान भाषा में प्रचलित बौद्ध धर्म, तिब्बत भाषी बौद्ध धर्म और पाली भाषी बौद्ध धर्म.

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चीन में बौद्ध धर्म के भिक्षुओं की कुल संख्या लाखों में है. भगवान बुद्ध के अनुयायिओं के लिए विश्व भर में चार मुख्य तीर्थ मुख्य माने जाते हैं. आज के इस लेख में हम आपको बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों (Buddha Tourist Place) के बारें में बताएंगे. तो चलिए शुरू करते है-

बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल – Buddha Tourist Place

  1. लुम्बिनी – वह स्थान जहां महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था.
  2. बोधगया – वह स्तन जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था.
  3. सारनाथ – जहां से बुद्ध ने दिव्यज्ञान देना प्रारंभ किया.
  4. कुशीनगर – जहां गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था.

लुम्बिनी (Lumbini)

यह स्थान नेपाल की तराई में नौतनवां रेलवे स्टेशन से 25 किलोमीटर और गोरखपुर-गोंडा लाइन के नौगढ़ स्टेशन से करीब 12 किलोमीटर दूर है. अब तो नौगढ़ से लुम्बिनी तक पक्की सडक़ भी बन गई है. गौतम बुद्ध का जन्म यहीं हुआ था. हालांकि, यहां के बुद्ध के समय के अधिकतर प्राचीन विहार नष्ट हो चुके हैं.

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केवल अशोक का एक स्तंभ अवशेष के रूप में इस बात की गवाही देता है कि भगवान बुद्ध का जन्म यहां हुआ था. इस स्तंभ के अलावा एक समाधि स्तूप में बुद्ध की एक मूर्ति है. नेपाल सरकार ने भी यहां पर दो स्तूप और बनवाए हैं. (सोर्स – विकिपीडिया )

बोधगया (Bodh Gaya)

करीब छह साल तक जगह-जगह और विभिन्न गुरुओं के पास भटकने के बाद भी बुद्ध को कहीं परम ज्ञान न मिला. इसके बाद वे गया पहुंचे. आखिर में उन्होंने प्रण लिया कि जब तक असली ज्ञान उपलब्ध नहीं होता, वह वृक्ष के नीचे से नहीं उठेंगे, चाहे उनके प्राण ही क्यों न निकल जाएं.

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इसके बाद करीब छह दिन तक दिन रात एक वट वृक्ष के नीचे भूखे-प्यासे तप किया. आखिर में उन्हें परम ज्ञान उपलब्ध हुआ. जिस वृक्ष के नीचे वह बैठे, उसे बोधि वृक्ष कहा जाता है। वहीं गया को तक बोध गया के नाम से जाना जाता है. (सोर्स – विकिपीडिया )

सारनाथ (Sarnath)

बनारस-सिटी स्टेशन से साढ़े तीन किलोमीटर और सडक़ मार्ग से सारनाथ चार किलोमीटर दूर पड़ता है. सारनाथ में बौद्ध-धर्मशाला है. यह बौद्ध तीर्थ है. लाखों की संख्या में बौद्ध अनुयायी और बौद्ध धर्म में रुचि रखने वाले लोग हर साल यहां पहुंचते हैं.

बौद्ध अनुयायियों के यहां हर साल आने का सबसे बड़ा कारण यह है कि भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था। सारनाथ की दर्शनीय वस्तुओं में अशोक का चतुर्मुख सिंह स्तंभ, भगवान बुद्ध का प्राचीन मंदिर, धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप, आदि शामिल हैं. (सोर्स – विकिपीडिया )

कुशीनगर (Kushinagar)

कुशीनगर बौद्ध अनुयायियों का बहुत बड़ा पवित्र तीर्थ स्थल है. माना जाता है कि महात्मा बुद्ध कुशीनगर में ही महापरिनिर्वाण को प्राप्त हुए. कुशीनगर के समीप हिरन्यवती नदी के समीप बुद्ध ने अपनी आखरी सांस ली.

उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर से 55 किलोमीटर दूर कुशीनगर बौद्ध अनुयायियों के अलावा पर्यटन प्रेमियों के लिए भी खास आकर्षण का केंद्र है. (सोर्स – विकिपीडिया )

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Updated On: April 6, 2022 10:43 am

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