Piles Food Diet Plan: बवासीर के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं खाएं? यहां जानिए

Bawasir Me Kya Khaye, Piles Food Diet in Hindi: आप दो प्रकार के बवासीर का शिकार हो सकते हैं, पहला अंदरूनी बवासीर होता है जबकि दूसरा बाहरी बवासीर. बवासीर के दौरान जहां लोगों को कुछ ख़ास खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, वहीँ कई खाद्य पदार्थों से परहेज भी करना चाहिए.

Piles Home Remedies: बवासीर या पाइल्स को ठीक करने के घरेलू उपाय
Piles Home Remedies: बवासीर या पाइल्स को ठीक करने के घरेलू उपाय
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Piles Food Diet in Hindi: बवासीर तब होता है जब मलाशय एवं गूदे की नसों में सूजन आ जाती है. यह एक सामान्य स्थिति है और स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा हानिकारक तो नहीं परन्तु परेशानी पैदा करने वाली अवश्य है. बवासीर होने का प्रमुख कारण कब्ज़ एवं दस्त होना है. अन्य कारणों में उम्र बढ़ना, गर्भावस्था, तली हुई चीज़ों का ज़्यादा सेवन करना तथा सम्भोग आदि है. मल त्याग करने के दौरान मरीज़ को काफी तेज़ दर्द, जलन और रक्तपात होने की भी संभावना रहती है. इस समस्या का निदान जितनी जल्दी हो सके किया जाना आवश्यक है. कुछ लोग जीवन के विभिन्न चरणों में बवासीर के दौरान गंभीर समस्या से गुज़रते हैं.

Piles एक काफी दर्दनाक समस्या है, जिसके शिकार विश्व में कई लोग होते हैं. परन्तु इस रोग का भी इलाज संभव है. मुख्य समस्या तब जन्म लेती है जब मलाशय की नसों के फूल जाने की वजह से जलन और सूजन आ जाती है. जिन लोगों को बवासीर होती है, उन्हें मलाशय द्वारा मल का त्याग करने में प्रचुर कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

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बवासीर एक ऐसा रोग है जो आसानी से दूर नहीं होता इलाज द्वारा इसे ठीक करने में भी एक लम्बा समय लगता है लेकिन खान पान में परहेज और अनुशासन द्वारा बवासीर का उपचार किया जा सकता है इसमें रोगी को धैर्य रखने के साथ नियमित जीवन शैली की भी आवश्यकता होती है. दोनों तरह की बवासीर की स्थिति में तला भुना और मसालेदार भोजन की मनाही होती है.

बवासीर के दौरान क्या खाएं ? (Piles Food Diet in Hindi)

फलियां

फलियां, जिसमें दालें, बीन्स एवं मटर की दाल शामिल होती है, प्रोटीन, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स एवं फाइबर से भरपूर होती है. फलियों के सेवन में वृद्धि करने से आपका मल नर्म होता है एवं मलत्याग के समय बवासीर पर कम दबाव पड़ता है.

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Yogurt (योगर्ट)

योगर्ट में शरीर का फायदा करने वाले जीवाणु होते हैं जिन्हें प्रोबायोटिक्स (probiotics) कहा जाता है. प्रोबायोटिक्स आपकी पाचन क्रिया के स्वास्थ्य में वृद्धि करते हैं एवं प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूत बनाते हैं. एक शोध से पता चला है कि लैक्टोबैसिलस एवं बाइफिडस जैसे प्रोबायोटिक्स या फायदेमंद जीवाणु बवासीर की रोकथाम एवं इलाज में सहायक होते हैं. हालांकि जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता काफी कमज़ोर हो, उन्हें प्रोबायोटिक्स का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह कर लेनी चाहिए.

Sprouts (स्प्राउट)

स्प्राउट फाइबर, विटामिन सी, प्रोटीन एवं कैल्शियम से भरपूर होता है. ये सभी पोषक पदार्थ बवासीर का इलाज करने में काफी फायदेमंद साबित होते हैं. रोज़ाना कम से कम 1 कप स्प्राउट का सेवन करें. परन्तु कच्चे स्प्राउट का सेवन ना करें क्योंकि इससे बवासीर के लक्षण और भी गंभीर हो जाएंगे. पेट की गड़बड़ी ठीक करने के लिए नर्म रूप से पके हुए या भाप में बने हुई अथवा उबले स्प्राउट का सेवन करें.

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भूरे चावल (Brown rice)

पाइल्स का इलाज के लिए भूरे चावल काफी महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है तथा बवासीर एवं हेमोरोइड्स से ग्रस्त व्यक्ति के लिए काफी लाभकारी साबित होते हैं. चमकाए गए चावल की जगह इस स्वास्थ्यकर प्रकार के चावल का सेवन ज़्यादा अच्छा होता है. हमेशा चावल के ऊपर की चमकीली परत को हटा देना अच्छा होता है.

पानी (Water)

अगर आप बवासीर से मुक्ति पाना चाहते हैं तो काफी मात्रा में पानी पीना बहुत ही ज़्यादा आवश्यक है. सारे दिन में जितना हो सके पानी पियें, जिससे आपके शरीर में रक्त का संचार अच्छे से हो सके और आपको बवासीर की समस्या से छुटकारा प्राप्त हो.

बवासीर के दौरान क्या न खाएं (Foods to avoid during Piles)

काफी तले हुए खाद्य पदार्थ

बवासीर की समस्या के दौरान गहरी तली हुई चीज़ों का सेवन करना काफी हानिकारक हो सकता है. गहरे तले हुए खाद्य पदार्थ ना सिर्फ अपनी पोषण क्षमता खो देते हैं बल्कि कब्ज़ का भी कारण बनते हैं जो पहले से हुए बवासीर के लिए काफी हानिकारक होती है. अतः इन तले हुए खाद्य पदार्थों से दूर रहना ही श्रेयस्कर होगा. इसके अलावा गहरे तले हुए खाद्य पदार्थ शरीर में खराब वसा का भी कारण बनते हैं, अतः इनका सेवन ना करना ही अच्छा होता है.

पॉलिश किये हुए चावल (Polished Rice)

हम पॉलिश किये हुए चावल का सेवन करते हैं जो पूरी तरह पोषण एवं फाइबर से रहित होते हैं. पोलिश किये हुए चावल विशुद्ध स्टार्च (starch) होते हैं और इसका पोषण मूल्य काफी कम होता है। ये केवल कार्बोहायड्रेट (carbohydrate) होते हैं एवं कब्ज़ की समस्या को बढ़ाने की क्षमता रखते हैं. बेहतर परिणामों के लिए इसके बदले भूरे या पॉलिश ना किये हुए चावल का सेवन करें.

अधिक चीज़ (Too much cheese)

यदि आपको भी चीज़ काफी पसंद है तो इसे अपने खानपान से पूरी तरह हटाने के ख्याल भर से आप काँप उठते होंगे. हालांकि बीच बीच में चीज़ का सेवन करने से कोई नुकसान नहीं होता है, परन्तु इसका अतिरिक्त रूप से सेवन करने से आपकी बवासीर की समस्या में काफी बढ़ोत्तरी होती है. यदि आप बवासीर की समस्या का शिकार होना नहीं चाहते हैं तो अपने खानपान में चीज़ को केवल हफ्ते में एक बार शामिल करें एवं इसे अपने सलाद में शामिल करें. इसमें मौजूद फाइबर हाज़मे में सहायता करता है.

कच्चे फल (Unripe fruits)

कच्चे फल पचाने में मुश्किल होते हैं एवं कब्ज़ का कारण बनते हैं. उदाहरणस्वरुप, कच्चे केले खाने से कब्ज़ हो जाता है क्योंकि इसमें एक ऐसा कंपाउंड (compound) होता है जो स्वास्थ्यकर पाचन क्रिया को प्रभावित करता है. आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि हमारे यहां अधिकतर फलों को कच्चा बेचा जाता है या ज़बरदस्ती पकाया जाता है.अतः हमेशा प्राकृतिक रूप से पके हुए फल खाना ही सुनिश्चित करें.

पाइल्स का इलाज के लिए जैसे कुछ भोजन बवासीर की स्थिति को दूर करने में आपकी सहायता करते हैं, ठीक उसी तरह कुछ भोजन संभावना को बढ़ाते हैं, अतः उन्हें भोजन की सूची से हटा देना चाहिए.

परिष्कृत भोजन (Processed foods)

इनके अंतर्गत डिब्बाबंद भोजन, लंच मीट और ज़्यादातर अनाज आते हैं. इनमें काफी मात्रा में नमक, कम पोषक तत्व तथा फाइबर की मात्रा ना के बराबर होती है.

चाय, कॉफ़ी एवं शराब (Coffee, tea, and alcohol)

चाय और कॉफ़ी शरीर में पानी की मात्रा घटाते हैं जो बाद में कब्ज़ का कारण बनता है. शराब से मूत्र पर प्रभाव पड़ता है. इनकी जगह खूब पानी पियें.

हानिकारक पेय पदार्थ (Liquid vices)

कैफीन (caffeine) युक्त पेय पदार्थ जैसे कॉफ़ी (coffee) तथा शराब आदि सूखे मल की सृष्टि करते हैं, जिससे हेमोरोइड्स की समस्या और भी खतरनाक हो जाती है.

वसायुक्त भोजन (Fatty foods)

काफी मात्रा में चिकनाई और वसायुक्त भोजन आपकी हाजमा प्रणाली के लिए काफी काम बढ़ा देते हैं तथा पेट के दर्द, छाती में जलन तथा हेमोरोइड्स की समस्या में भी इजाफा कर सकते हैं. बवासीर की स्थिति में काफी मात्रा में तले हुए भोजन से परहेज करें. वसा का, खासकर सैचुरेटेड (saturated) वसा का सेवन मक्खन का प्रयोग कम करके बंद करें तथा कम वसा या वसारहित दुग्ध उत्पादों का सेवन करने का प्रयास करें।

लाल मांस (Red meat)

लाल मांस एक काफी नुकसान पहुंचाने वाला व्यंजन है और बवासीर होने की स्थिति में इससे बिलकुल ही परहेज किया जाना चाहिए. बवासीर के दौरान प्रोसेस्ड (processed) मांस से भी परहेज करें. ज़्यादातर डॉक्टर इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से मना करते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर आपको बवासीर की समस्या से छुटकारा प्राप्त होता है.

बवासीर के घरेलू उपचार ( Piles Home Remedies in Hindi)

जामुन

ये घुलने वाले तथा ना घुलने वाले फाइबर्स का अच्छा स्त्रोत हैं। बवासीर की समस्या वाले किसी भी रोगी के लिए ये वरदान रुपी हैं।

अंजीर (Figs)

अंजीर कब्ज़ का काफी पुराना इलाज हैं। आप जंजीरों को सूखाकर भी इनका सेवन कर सकते हैं।

बवासीर के घरेलू उपचार पालक से (Spinach)

पाचन क्रिया दुरुस्त करने के लिए ये काफी असरकारी सब्ज़ी मानी जाती है और आँतों की सफाई में भी इसका काफी योगदान रहता है। पालक सही मात्रा में नित्य क्रिया संपन्न होने में भी ये महती भूमिका निभाता है।

पाइल्स का इलाज ओकरा से (Okra)

ओकरा फाइबर पानी को सोखता है तथा मल को बढ़ाते हुए इसको आँतों से तेज़ी से निकालने में में मदद करता है। यह कब्ज़ तथा बवासीर होने से रोकता है। नाश्ता आपके दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं

पाइल्स का घरेलू उपचार बीट से (Beets)

यह बवासीर होने से रोकता है तथा मलाशय का कैंसर रोकने में भी अहम भूमिका निभाता है।

पपीता (Papaya)

पपीता में प्रोटीन की पाचन क्रिया वाले एंजाइम होते हैं जिन्हें पपेन कहते हैं जिनसे यह बवासीर में मदद करता है।

पाइल्स का उपचार दलिया से (Oats)

नाश्ते में दलिया खाने से बवासीर की समस्या से निजात मिलती है। ये काफी पोषक होते हैं तथा घुलने वाले फाइबर के अच्छे स्त्रोत होते हैं।

बवासीर का इलाज आलूबुखारा से (Prunes)

ये फाइबर के अच्छे स्त्रोत होते हैं और इनके सेवन से बवासीर में लाभ मिलता है।

जौ (Barley)

जौ भार बढ़ाता है, मल को नरम करता है तथा बवासीर के खतरे को मिटाता है।

बवासीर की स्थिति में उपयुक्त भोजन

  1. बवासीर से मुक्ति के लिए ऐसा भोजन करना चाहिए जो फाइबर से भरपूर हो. निम्नलिखित भोजनों से आपको फाइबर की मात्रा मिल सकती है: साबुत अन रिफाइंड अनाज जैसे ओट ब्रान हॉल वीट, भूरे चावल, सूखे बीन्स, सत्तू तथा मसूर.
  2. फल एवं सब्ज़ियाँ जैसे सेब, पालक, संतरे, आड़ू, मशरूम, मीठे आलू,और रास्पबेरी.
  3. फलों का सेवन अधिक करें क्योंकि इनमें रस के मुकाबले ज़्यादा फाइबर होता है. बीन्स जैसे मटर, भुने बीन्स और राजमा. बीज, नट्स आदि में फाइबर की काफी ज़्यादा मात्रा होती है.

Updated On: April 17, 2022 8:57 pm

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